आज फादर डे यानि पितृ दिवस है। हमारे यहाँ तो ये फादर डे सिर्फ मेट्रो शहरों में ही मनाया जाता है, हम लोगों को इसे मनाने की कोई जरूरत नहीं क्योंकि हम अपने पिता जी को रोज़ ही याद करते हैं न की विदेशों की तरह जहाँ पर लोग इस दिन अपने पिता को "स्पेशल कॉल" करते हैं पर इस बाजारू संस्कृति ने इस विदेशी त्योहारों को भी अपना माल बेचने के लिए अपना लिया है , और हम हिन्दुस्तानी अक्सर विदेशी चीज़ों पर ज्यादा ही गर्व महसूस करते हैं।
ये पोस्ट तो मैंने अपने और अपने पापा के संबंधों के सन्दर्भ में लिंखी है, ऐसे कई बातें याद आती हैं जैसे की मेरे पापा का मुझे नर्सरी क्लास में छोड़ के जाना और मेरा उनका पैर पकड़ के लटक जाना :) , हर इतवार शाम को मेरे लिए समोसे लाना ( मुझे बाद में पता चला था की वो दो दिन (शनिवार और इतवार ) की कड़ी मेहनत बाद कमाए पैसे से समोसे आते थे. )... ऐसे कई यादें हैं .
मेरे पापा एक अच्छे इंसान हैं क्योंकि :
अपने पापा की तरह बनना मेरे लिए बहुत मुश्किल है पर फिर भी मैं उनका सदा आभारी रहूँगा क्योंकि उन्होंने ही मुझे ईमानदारी और दूसरों की मदद करना सिखाया। उम्मीद है कि भविष्य में भी वो हमेशा मेरा सही मार्गदर्शन करते रहेंगे....ये पोस्ट काफी लम्बी हो गयी है.. इसलिए इस को यहीं विराम देना चाहूँगा .. और पापा "HAPPY FATHER'S DAY "
मेरे पापा एक अच्छे इंसान हैं क्योंकि :
- वे ईमानदार हैं ,यकीन मानिये आज कल के ज़माने में बहुत कम सरकारी कर्मचारी ईमानदार बचे हैं और मेरे पापा ने कभी भी रिश्वत या गलत तरीके से पैसा नहीं कमाया बावजूद इसके हमारा परिवार आर्थिक तौर पर मजबूत है.
- वे परिवार को साथ लेकर चलने वाले व्यक्ति हैं ,उन्होंने ने परिवार का साथ हमेशा दिया और अपने सभी भाइयों को पढ़ा लिखा कर सेटल किया , पर विडम्बना देखिये उनके भाई सेटल हते ही ९९ के फेर में पड़ कर सिर्फ अपना अपना करने लगे और परिवार को भूल गए.
- उन्होंने अपने माँ बाप का हमेशा सम्मान किया, यदि आप को लगता है के ये आम सी बात है पर नहीं , सेवा करना और और उसको न जताना ही सबसे बड़ी बात क्योंकि आजकल लोग माँ बाप की सेवा करते बाद में हैं ,लिखते पहले हैं की "माँ को ५०० रुपये दिए ", अथवा तुरंत कह देते हैं "हमने जितनी सेवा करनी थी कर दी ", क्या वाकई में कोई अपने माँ बाप का एहसान इस जिंदगी में उतार सकता है ??
- वे दूसरों की हमेशा मदद करते हैं, चाहे बस या ट्रेन में दुसरे को जगह दे कर बैठने की हो, किसी ज़रुरत मंद को दान की या अपने हॉस्पिटल में किसी मरीज़ की मदद करने की हो, वो हमेशा दुसरे की मदद को तत्पर रहते हैं। इस बात के लिये मैं कई बार उनसे असहमत रहा हूँ क्योंकि वो अपना आराम छोड़ कर दुसरे की मदद करते हैं जबकि दुसरे पर इसका कोई असर नहीं होता।
अपने पापा की तरह बनना मेरे लिए बहुत मुश्किल है पर फिर भी मैं उनका सदा आभारी रहूँगा क्योंकि उन्होंने ही मुझे ईमानदारी और दूसरों की मदद करना सिखाया। उम्मीद है कि भविष्य में भी वो हमेशा मेरा सही मार्गदर्शन करते रहेंगे....ये पोस्ट काफी लम्बी हो गयी है.. इसलिए इस को यहीं विराम देना चाहूँगा .. और पापा "HAPPY FATHER'S DAY "
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