Wednesday, July 2, 2014

कितने ज़माने से राहों में

बनते थे सहारा सभी का,
आज हम खुद किसी के सहारे के लिए खड़े हैं,

साथी थे हम कितनो के राहों के,
आज हम खुद तनहा राहों में खड़े है,

जिंदगी के किनारों पर हम जैसे प्यासे ,
समुंदर के किनारे खड़े हैं

देख पाती तो देख लेती ऐ जिंदगी...
तुझे पाने के लिए 'रवि' कितने ज़माने से राहों में खड़े हैं।।।।