Wednesday, July 2, 2014

कितने ज़माने से राहों में

बनते थे सहारा सभी का,
आज हम खुद किसी के सहारे के लिए खड़े हैं,

साथी थे हम कितनो के राहों के,
आज हम खुद तनहा राहों में खड़े है,

जिंदगी के किनारों पर हम जैसे प्यासे ,
समुंदर के किनारे खड़े हैं

देख पाती तो देख लेती ऐ जिंदगी...
तुझे पाने के लिए 'रवि' कितने ज़माने से राहों में खड़े हैं।।।। 

Monday, June 17, 2013

क्या हिन्दू विरोधी होना ही धर्मनिरपेक्षता है ??

क्या हिन्दू  विरोधी होना ही धर्मनिरपेक्षता  है ?? आज कल जो देश में हो रहा है उसे देख कर तो यही लगता है। कांग्रेस के द्वारा शुरू हुआ धर्मनिरपेक्षता का छदम आन्दोलन इन मौकाप्रसत राजनीतज्ञों द्वारा सफल हो रहा है।
 जरा आप सोचिये ! मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही कौन सा सारे मुस्लमान मार दिए जायेंगे या मुस्लिमओं को दी जा रही सारी सुविधाएँ वापिस हो जाएँगी, कांग्रेस बस मुसलमानों को डरा कर उनका वोट हासिल करना चाहती है ताकि देश को अगले ५ साल तक लूट सके।यदि ये होता तो मुसलमानों ने गुजरात अब तक छोड़ दिया होता.  

जरा आप सोचिये ! १० साल हो गए कांग्रेस राज को, कांग्रेस ने कौन सा देश को नहीं लूटा है , इतने घोटाले हुए की , कांग्रेस के हर मंत्री ने हर विभाग में घोटाले किये हैं, ये नहीं के बीजेपी  ने घोटाले नहीं किये , बीजेपी ने ताबूत  घोटाला , तहलका कांड किया पर कांग्रेस ने तो CWG, 2G, CoalGate, MNREGA, NRHM... घोटाले किया और इनका आकर लाखों करोड़ों में है.

जरा आप सोचिये ! आखरी बार आपने कब पढ़ा था के जमाखोर या ब्लैक करने वाले के गोदामों पर छापे पड़े , क्योंकि ये कांग्रेस के पक्ष में हैं , वरना महंगाई इतना न बढती और  धर्मनिरपेक्ष होने की इतनी बड़ी कीमत न चुकानी पड़ती।

Sunday, June 16, 2013

आज फादर डे यानि पितृ दिवस है !!

  आज फादर डे यानि पितृ दिवस है। हमारे यहाँ तो ये फादर डे सिर्फ मेट्रो शहरों में ही मनाया जाता है, हम लोगों को इसे मनाने की कोई जरूरत नहीं क्योंकि हम अपने पिता जी को रोज़ ही याद करते हैं न की विदेशों की तरह जहाँ पर लोग इस दिन अपने पिता को "स्पेशल कॉल" करते हैं पर इस बाजारू संस्कृति ने इस विदेशी त्योहारों को भी अपना माल बेचने के लिए अपना लिया है , और हम हिन्दुस्तानी अक्सर विदेशी चीज़ों पर ज्यादा ही गर्व महसूस करते हैं। 
मैं और पापा

ये पोस्ट तो मैंने अपने और अपने पापा के संबंधों के सन्दर्भ में लिंखी है, ऐसे कई बातें याद आती हैं जैसे की मेरे पापा का मुझे नर्सरी क्लास में छोड़ के जाना और मेरा उनका पैर पकड़ के लटक जाना :) , हर इतवार शाम को मेरे लिए समोसे लाना ( मुझे बाद में पता चला था की वो दो दिन (शनिवार और इतवार ) की कड़ी मेहनत बाद कमाए पैसे से समोसे आते थे. )... ऐसे कई यादें हैं .


मेरे पापा एक अच्छे इंसान हैं क्योंकि :

  1.  वे ईमानदार हैं ,यकीन मानिये आज कल के ज़माने में बहुत कम सरकारी कर्मचारी ईमानदार बचे हैं और मेरे पापा ने कभी भी रिश्वत या गलत तरीके से पैसा नहीं कमाया बावजूद इसके हमारा परिवार आर्थिक तौर पर मजबूत है.
  2. वे परिवार को साथ लेकर चलने वाले व्यक्ति हैं ,उन्होंने ने परिवार का साथ हमेशा दिया और अपने सभी भाइयों को पढ़ा लिखा कर सेटल किया , पर विडम्बना देखिये उनके भाई सेटल हते ही ९९ के फेर में पड़ कर सिर्फ अपना अपना करने लगे और परिवार को भूल गए.
  3. उन्होंने अपने माँ बाप का हमेशा सम्मान किया,  यदि आप को लगता है के ये आम सी बात है पर नहीं , सेवा करना और और उसको न जताना ही सबसे बड़ी बात क्योंकि आजकल लोग माँ बाप की सेवा करते बाद में हैं ,लिखते पहले हैं की "माँ को ५०० रुपये दिए ", अथवा तुरंत कह देते हैं  "हमने जितनी सेवा करनी थी कर दी ", क्या वाकई में कोई अपने माँ बाप का एहसान इस जिंदगी में उतार सकता है ??
  4. वे दूसरों की हमेशा मदद करते हैं, चाहे बस या ट्रेन  में दुसरे को जगह दे कर बैठने की हो, किसी ज़रुरत मंद को दान की या अपने हॉस्पिटल में किसी मरीज़ की मदद करने की हो, वो हमेशा दुसरे की मदद को तत्पर रहते हैं। इस बात के लिये मैं कई बार उनसे असहमत रहा हूँ क्योंकि वो अपना आराम छोड़ कर दुसरे की मदद करते हैं जबकि दुसरे पर इसका कोई असर नहीं होता।
हाँ, उनमें कुछ कमियां भी हैं, जैसे वो करते अपने दिल की हैं भले सलाह हम से (माँ से भी ) जितनी मर्ज़ी लें, और वो दूसरों पर ज़ल्दी विश्वास कर लेते हैं पर मुझ पर नहीं करते ,पता नहीं क्यों (इसी बात का मेरे को हमेशा दुःख रहता है ),

अपने पापा की तरह बनना मेरे लिए बहुत मुश्किल है पर फिर भी मैं उनका सदा आभारी रहूँगा क्योंकि उन्होंने ही मुझे ईमानदारी और दूसरों की मदद करना सिखाया। उम्मीद है कि भविष्य में भी वो हमेशा मेरा सही मार्गदर्शन करते रहेंगे....ये पोस्ट काफी लम्बी हो गयी है.. इसलिए इस को यहीं विराम देना चाहूँगा .. और पापा "HAPPY FATHER'S DAY "

Friday, June 14, 2013

लो जी ! अपनी भी सुनो

 लो जी ! अपनी भी सुनो , अब हम भी आ गए हैं हिंदी में ब्लॉग्गिंग करने , जी अंग्रेजी  में तो ५-६ साल से लिख रहे थे पर हिंदी में आज ही मन हुआ, पिता जी तो कई साल से अपना ब्लॉग लिखते हैं , अजी उनकी लिखी कुछ  कवितायेँ कटाक्ष करती हैं, कुछ दिल को छूती हैं , मतलब की अच्छा लिखते हैं , सो आज सोचा हम भी अपने पिता जी के क़दमों पर चलें ( अरे कोशिश तो कर लें :) ) पर पिता जी की तरह कविता नहीं लिखेंगे और न ही लिख पायेंगे क्योंकि हम तो सीमित (कविता लेखन) ही सोच पातें हैं, कविता लिखने के लिए बहुत सारा शब्दकोष ज्ञान और भावनायें चाहिये ।

तो फिर लिखेंगे क्या ?? अरे वही , जन साधारण वाली बातें क्योंकि हम एक आम आदमी हैं। आम आदमी से मेरा मतलब "Mango  man" जो की 85 %  आबादी है , वर्ना आज कल आम आदमी का मतलब या तो Delhi वाले केजरीवाल जी के समर्थक या फिर गुजरात के मोदी जी की तरह "CM - Common Man" हो गया है :) , ये ब्लॉग लिखने का कारण ये है के जो कुछ जिंदगी और समाज में हो रहा है वो हर चीज़ तो मैं Facebook पर तो डाल नहीं सकता, और लोगों के लाइक्स और कमेंट्स का इंतज़ार करूँ :)) सो मेरी ज़िन्दगी ....मेरा ब्लॉग ।

अपने बारे में ,और कुछ और बातें अगली पोस्ट में ,चलिये .. फिर मिलेंगे ... चलते चलते ....